कर फ़तेह

 

जब अकेलेपन की सर्दी सताए

तुम ख्वाहिशों की आग लगाओ|

जब अँधेरे में सब सोते हैं

तुम मेहनत के दिए जलाओ|

 

ज़िन्दगी तोह पलों में जीते हैं

तस्वीरों में नहीं

तक़दीर तोह हाथों में होती है

हाथ की लकीरों में नहीं|

 

तुम कल के इंतज़ार में नहीं

अपने आज में कुछ कर जाओगे|

रास्तों में कांटे मिलते है तो, जानो,

आगे गुलाब ही पाओगे|

– तेजस जग्गी